Monday, December 15, 2008














वो जो ख्वाबो में आता है शायद तुम ही तो हो ;धडकनों को बढ़ा जाता है तुम ही तो हो
महक गई मेरी सासें शायद वो तुम ही तो हो ; जिसकी आखों की कशिश मदहोश कर जाती ;शायद वो तुम ही तो हो

हर लम्हा हर पल याद आती हो ; जहाँ देखूं नज़र आती आयें वो शायद तुम ही तो हो
मेरी रूह को छूकर चली जाती है ;जिसकी मासूम सी सूरत भीनी-भीनी मुस्कराहट धीरे -धीरे;
मुझे मुझसे ही चुराए शायद वो तुम ही तो हो

जिसकी काली-काली घटाए अनजानी उमंग भर लाये शायद वो तुम ही तो हो
कभी हो तुमसे भी मुलाक़ात कोई ऐसी सूरत हो..........................................

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