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होटो पर प्यास थी पर पिया न गया
एक प्याला जाम भी मुझसे न लिया गया
जाने वो समां कैसा था जो एक पल टहर गया
उनकी आखों की नमी से मेरा दामन भीग गया
जाड़े की वो रात ;रात भर सुलगती रही
उनकी यादों की शमा रात भर जलती रही
होश भी था कुछ थोड़ा मदहोश भी था
हमने तो जाम को ख़ुद अपने हाथो से भरा था
क्या पता था सपनो की अपने से टूट जाएगा
एक ही पल में यादों का शीश महल हाथो से छुट जाएगा
पर सारे टुकडो में एक ही खनक;एक ही बात साफ़ थी
हर एक टुकड़े में उनकी तस्वीर साफ़ थी
ऐसा गिरा की जाने क्या हुआ
पल ही पल में सपनो का महल टूट गया
सब तरफ़ खामोशी आलम साफ़ था
बस एक टूटा टुकडा मेरे साथ था
एक ख्वाइश एक छोटी आस आज भी साथ थी
जाने क्यूँ वो तस्वीर कल भी मेरे साथ थी
बस वही तस्वीर और आखिरी हसरत हर मुकाम मेरे साथ थी
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