Sunday, December 14, 2008

AFSOSE


रंगे-पुते से नज़र आते है सबके ईमान यहाँ
कोई सोने से पुता किसी पर चांदी की चमक
जिंदगी धूमिल सी नज़र आती है
हर जगह वही झूटी चमक
जिंदगी जीने का तो कोई मज़ा ही नही आता
खोखला हो गया इंसान जार-जार पड़े आदर्श
मुह पर तपिश जिस पर धार वही
सच का कहीं कोई मान नहीं
हर तरफ़ बईमानी की झलक
तड़पता हर तरफ़ कमज़ोर वही
क्या करे वो भी ताकत की वो जो पैदाइश नही
हथेलियो पर ना जाने कितनी लकीरें खिची
पर तेरी पहचान कहीं नही
जिंदगी भुला दे मुझको तेरी ख्वाइश नही
जा कहीं और बरस तुझे मुझसे प्यार नही
तुझे बेवफा कहा तो ख़ुद बेवफा कहलाऊंगा
जा चली जा तू न रूठी तो खा के कसम कहता हूँ
ख़ुद तुझसे रूठ जाऊंगा ।

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