साहिलों से किनारे का सफर सिर्फ़ हसरत ही रहा
ख्वाहिशो का समंदर;समंदर में ही रहा
समंदर पार दुनिया कितनी ख्वाब्दार होगी
पर जाने क्यूँ लगा ज़िन्दगी यही पार होगी
अपनी चाहत की दुनिया शहजादा हूँ मै
पर पता नही ख़ुद को कितना हमजुदा हूँ मैं
तैर चले कुछ यु सोचकर तकदीर साथ देगी
किसी न किसी मोड़ तकदीर हाथ देगी
तूफानों के बवंडर में सारा जीवन उलझ गया
जीवन के समंदर में जाने क्या टूटा क्या उलझ गया
बस टूटी कश्ती से मंजिल खोजते रहे
बेजान चट्टानों से जाए किधर ;यही पूछते रहे
जाने सोच कहा टकरा गई;सोचा मंजिल आ गई
पर भरे समंदर में किधर रहे अधर थे अधर में ही रहे
कभी-कभी तलाश मंजिल की यु ही जारी रही
हर मोड़ पर तलाश तेरी ;आदत कुछ यु हमारी रही
Monday, December 15, 2008
अधूरी तस्वीर सपनो की
होटो पर प्यास थी पर पिया न गया
एक प्याला जाम भी मुझसे न लिया गया
जाने वो समां कैसा था जो एक पल टहर गया
उनकी आखों की नमी से मेरा दामन भीग गया
जाड़े की वो रात ;रात भर सुलगती रही
उनकी यादों की शमा रात भर जलती रही
होश भी था कुछ थोड़ा मदहोश भी था
हमने तो जाम को ख़ुद अपने हाथो से भरा था
क्या पता था सपनो की अपने से टूट जाएगा
एक ही पल में यादों का शीश महल हाथो से छुट जाएगा
पर सारे टुकडो में एक ही खनक;एक ही बात साफ़ थी
हर एक टुकड़े में उनकी तस्वीर साफ़ थी
ऐसा गिरा की जाने क्या हुआ
पल ही पल में सपनो का महल टूट गया
सब तरफ़ खामोशी आलम साफ़ था
बस एक टूटा टुकडा मेरे साथ था
एक ख्वाइश एक छोटी आस आज भी साथ थी
जाने क्यूँ वो तस्वीर कल भी मेरे साथ थी
बस वही तस्वीर और आखिरी हसरत हर मुकाम मेरे साथ थी
वो जो ख्वाबो में आता है शायद तुम ही तो हो ;धडकनों को बढ़ा जाता है तुम ही तो हो
महक गई मेरी सासें शायद वो तुम ही तो हो ; जिसकी आखों की कशिश मदहोश कर जाती ;शायद वो तुम ही तो हो
हर लम्हा हर पल याद आती हो ; जहाँ देखूं नज़र आती आयें वो शायद तुम ही तो हो
मेरी रूह को छूकर चली जाती है ;जिसकी मासूम सी सूरत भीनी-भीनी मुस्कराहट धीरे -धीरे;
मुझे मुझसे ही चुराए शायद वो तुम ही तो हो
जिसकी काली-काली घटाए अनजानी उमंग भर लाये शायद वो तुम ही तो हो
कभी हो तुमसे भी मुलाक़ात कोई ऐसी सूरत हो..........................................
हर कोई नई चीज़ अच्छी लगती है मगर दोस्ती जितनी पुरानी होती है उतनी ही पायदार होती है यह कुर्बानी का नाम है जिंदगी में जाने कितने लोग आते है इतने की कितने चेहरे ना तो याद रहते है न ही याद आते है मगर कुछ मिलते है जिन्हें हम प्यार करते है जिन्हें हम दिल की गहराही से चाहने लगते है वो जाने क्यूँ हमारे जेहन में एक एहसास की तरह बस जाते है हम दिन रात उनकी मुहब्बत में गुजारने लगते है अगर वे गम हो जाते है तो हम उन्हें ढूँढ़ते रहते है लेकिन हमारी निगाहों को एक मायूसी के सिवा कुछ नही मिलता कुछ हासिल नही होता और कहीं अगर मिल जाए तो खुशी से कोई आवाज़ नही आती अगर तोधी देर के लिए दूर हो जाय तो ऐसा मालूम होता है जैसे कोई कीमती चीज़ खो गई है क्यूँ है ना बेशकीमती दोस्ती जिसकी कोई कीमत नही .
एहसास चाहत का
किसी को चाहना और चाहे जाने की तमन्ना करना इंसान की फितरत में शामिल है और फ़िर चाहे और चाहे जाने की तमन्ना किसे नही होती कुछ ही खुशनसीब लोग होते जो दूसरो की चाहत को पा ले और कुछ बदनसीब साहिल पर भी आकर भी प्यासे रह जाते है हमेशा की तरह । पर वो ना उम्मीद नही होते प्यार की तिशनगी बर्दाश्त करते है ; इस आस पर की शायद जिंदगी में कोई लम्हा आ जायऔर उनकी रूह को बहार की सभी हकीक़तो से सैराब कर दे । लेकिन किसी की चाहत में एक उमर गुजार देते है ; जब आस प्यास में ढलने लगती है ;फ़िर सोचते है की कहीं उनसे कोई गुनाह सो सरज़द नही हो गया है लेकिन ये नही जानते की उनकी किस्मत में किसी का प्यार लिखा ही नही है ।
तभी तो कहते है
"प्यार का जस्बा भी ना जाने क्या ख्वाब दिखा देता है ;
अजनबी चेहरे को महबूब बना देता है
चाहते तो हम भी बहुत होते हैं उन्हें
मगर जिसे मिल जाय वो खुशनसीब होता है।"
CHAHAT
एक बार दिल ने धड़कन से पूछा - "ये चाहत क्या है "?
धड़कन ने जवाब दिया "चाहत एक लिबास है ;अगर इंसान ओढ़कर सो जाए तो सारी दुनिया का सुकून उसमे समां जाता है ।"
साँसों ने कहा -"ये एक रवानी है जिससे जिंदगी में तेज़ी आ जाती है । "
ज़ज्बात बोले -"ये एक अजीब महक हैं जो महसूस करने पर मजबूर कर देती है । "
दिमाग ने कहा -"सुच तो ये हैं की जब चाहत बीच में आ जाए तो मैं अपना काम भूल जाता हूँ । "
BAAZIGAR
घुड़सवारों के लिए हर हार बेमानी है
जो हैं जाबाज उन्हें हरा नही सकता ;कोई
हारने को तो हर कोई हारता है
पर हारकर जीते बाजीगर कहते है उसे
बादशाह मरा नहीं करते वक्त ने दी कई बार ठोकरे
खाई चोट ;जख्मो ने हज़ार बार
अब नासूरों में इतना दर्द कहाँ जो रोक सके इन कदमो को
हारो का अब दर्द नही होता बस कहना है दुनिया से
तूफानों में भी अब दिया जलता है हम्मे आज भी
जीतने का ज़स्बा पलता हैं
Sunday, December 14, 2008
AFSOSE
रंगे-पुते से नज़र आते है सबके ईमान यहाँ
कोई सोने से पुता किसी पर चांदी की चमक
जिंदगी धूमिल सी नज़र आती है
हर जगह वही झूटी चमक
जिंदगी जीने का तो कोई मज़ा ही नही आता
खोखला हो गया इंसान जार-जार पड़े आदर्श
मुह पर तपिश जिस पर धार वही
सच का कहीं कोई मान नहीं
हर तरफ़ बईमानी की झलक
तड़पता हर तरफ़ कमज़ोर वही
क्या करे वो भी ताकत की वो जो पैदाइश नही
हथेलियो पर ना जाने कितनी लकीरें खिची
पर तेरी पहचान कहीं नही
जिंदगी भुला दे मुझको तेरी ख्वाइश नही
जा कहीं और बरस तुझे मुझसे प्यार नही
तुझे बेवफा कहा तो ख़ुद बेवफा कहलाऊंगा
जा चली जा तू न रूठी तो खा के कसम कहता हूँ
ख़ुद तुझसे रूठ जाऊंगा ।
MEERA
बेजान खड़ी हूँ ;आज
कभी जान थी मुझमे
नाम था मीरा
एक पहचान थी मुझमे
पत्थर की मूरत
बेजान सी एक सूरत
हाथ में एक तारा
दिल में बुझी -बुझी सी एक आस
ना आँखों में आसूं है
नाही दिल में धड़कन
मिटटी में मिलाया था ख़ुद को
क्यूँ तराशा तुमने मुझको
क्यूँ बनाया है मुझको
हो सके तो मिटटी में मिला दो मुझको
मरकर भी जिन्दा रही एहसास में में तेरी
पत्थर की बेजान मूरत ;आज पहचान है मेरी
हो सके तो जिला दो मुझको मेरे प्राण से मिला दो ................................
safar
बहा दे ये खून ना समझ इसे खून ये तेरा पसीना है;
लंबा है सफर ,तुझे तो मौत के पहलु में जीना है ,
पत्थर की दुनिया ; मीलो का है फासला;
हिम्मत बढ़ा ;बढ़ा अपना हौसला;
मिलेंगी मंजिले ;मिल जायेंगे अनेको रास्ते ;
तुझे ख़ुद के लिए नही; जीना है औरो के वास्ते ,
जहाँ गुलाब तेरा दुश्मन ;कांटें तेरे मीत है;
उतर जा मैदान मे तुझे बनना अजीत है,
जीतनी है धरती ;जीतना है ये आसमान
चुकाना है क़र्ज़ इस धरती का ;बढ़ाना है इस धरती का मान ,
रखना है कदम एक नई सदी में
करनी है हिफाज़त इस देश की आन - शान की
आज मिलकर क्यूँ ना कसम खाए ;हम
सब मिलकर हिन्दुस्तान की ,
भूल जाए दोस्तों ये तुम्हारा है ये हमारा है
बस याद रहे ये देश जितना हमारा है उतना तुम्हारा है ।
Subscribe to:
Posts (Atom)